जेट स्ट्रीम क्या है? भारतीय मानसून इससे कैसे प्रभावित होता है?
जेट स्ट्रीम या जेटधाराएँ ऊपरी वायुमंडल में और विशेषकर समतापमंडल में तेज़ गति से प्रवाहित/बहने वाली हवाएँ हैं. इनके प्रवाह की दिशा जलधाराओं की तरह ही निश्चित होती है, इसलिए इसे जेट स्ट्रीम का नाम दिया गया है.
जेट स्ट्रीम धरातल से ऊपर यानी 6 से 14 km की ऊँचाई पर लहरदार रूप में चलने वाली एक वायुधारा है. इस वायुधारा का सम्बन्ध धरातल में चलने वाली पवनों के साथ भी जोड़ा गया है.
वैसे तो भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं, जैसे –
- अक्षांशीय स्थिति और आकार
- उच्चावच की विभिन्नता
- वायुदाब और पवन की समयानुसार बदलती प्रकृति
- जल और स्थल का वितरण अथवा समुद्र से निकटता की दूरी
- जेट वायुधाराओं का प्रभाव
पर आज इस आर्टिकल में हम सिर्फ जेट वायुधारा क्या है और वह भारतीय मानसून में किस तरह योगदान करती है, इसके बारे में जानने वाले हैं.
इतिहास
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय में ही जेट स्ट्रीम नामक एक वायुधारा की जानकारी मिली. इस वायुधारा की जानकारी दरअसल 1945 ई. में मिली थी लेकिन 1949 ई. में इस जेट स्ट्रीम के साथ विश्व जलवायु के संबंधों को भी जोड़ा गया है.
TYPES OF JET STREAM
पूरे विश्व में Jet Streams के चार प्रकार हैं. पर भारत के सन्दर्भ में यदि देखा जाए तो जेट स्ट्रीम दो प्रकार के होते हैं –
- पछुआ (पश्चिमी) जेट स्ट्रीम – 20° से 35° North
- पूर्वी जेट स्ट्रीम – 8° से 35° North
पश्चिमी जेट स्ट्रीम
यह स्थाई जेट स्ट्रीम है. यह सालों भर चलता है. इसके प्रवाह की दिशा पश्चिमोत्तर भारत से लेकर दक्षिण पूर्व भारत की ओर होती है. पश्चिमी jet stream का सम्बन्ध सूखी, शांत और शुष्क हवाओं से है. यह शीतकाल की आंशिक वर्षा के लिए उत्तरदाई है.
पूर्वी जेट स्ट्रीम
पश्चिमी जेट स्ट्रीम के ठीक विपरीत पूर्वी जेट स्ट्रीम की दिशा दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमोत्तर भारत की ओर है. यह अस्थाई है और इसका प्रभाव जुलाई, अगस्त, सितम्बर में ही देखा जा सकता है. पूर्वी जेट स्ट्रीम भारत में मूसलाधार वर्षा के लिए उत्तरदाई है. जैसा कि वैज्ञानिकों का अनुमान है, सम्पूर्ण भारत में जितनी भी वर्षा होती है उसका 74% हिस्सा जून से सितम्बर महीने तक होता है यह पूर्वी जेट से ही संभव हो पाता है.
पूर्वी जेट हवा गर्म होती है. इसलिए, इसके प्रभाव से सतह की हवा गर्म होने लगती है और गर्म होकर तेजी से ऊपर उठने लगती है. इससे पश्चिमोत्तर-भारत सहित पूरे भारत में एक निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है. इस निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर अरब सागर से नमीयुक्त उच्च वायुदाब की हवाएँ चलती हैं. अरब सागर से चलने वाली यही नमीयुक्त हवा भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के नाम से जाना जाती है.
सारांश
- उष्णकटिबंधीय के शीर्ष के पास पश्चिम से पूर्व तक बहने वाली एक उच्च गति वाली उच्च-ऊंचाई वाली एयरस्ट्रीम; मौसम मोर्चों के गठन के महत्वपूर्ण प्रभाव हैं
दोनों जेट स्ट्रीम। वह हिस्सा जहां वायुमंडल में एक संकीर्ण जगह में हवा की गति मजबूत हो रही है। यद्यपि सर्दियों में उच्च अक्षांश और निम्न उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में दिखाई देने वाले निचले स्तर के जेट पर समताप मंडल में दिखाई देने वाला एक ध्रुवीय रात जेट भी होता है, लेकिन यह अक्सर उस प्रवाह को संदर्भित करता है जो मध्यवर्ती हवाओं के मध्यस्थता में अर्ध-स्थिर है। यह उत्तरी गोलार्ध में उष्णकटिबंधीय ऊपरी क्षेत्र इंटरफ़ेस (औसत ऊंचाई 11 से 14 किमी) के आसपास है, गर्मियों में 30 डिग्री सेल्सियस 40 डिग्री उत्तर अक्षांश और गर्मियों में 45 डिग्री सेल्सियस 50 डिग्री उत्तर में मजबूत है और सर्दी में हवा की गति प्रति सेकंड लगभग 40 मीटर है, लगभग 15 मीटर, कभी-कभी प्रति सेकंड 100 मीटर से अधिक। इसकी ताकत महाद्वीप के पूर्वी किनारे पर मजबूत, देशांतर पर निर्भर करता है, जो पश्चिम बैंक पर कमजोर है। स्थिति न केवल मौसम के अनुसार बल्कि हर दिन भी बदलती है। यह ध्रुवों के चारों ओर घूमता है, कभी-कभी यह दो टुकड़ों में बहता है। जापान के आसपास के क्षेत्र में, एक उपोष्णकटिबंधीय जेट कहा जाता है, लेकिन उच्च अक्षांश ठंडे मोर्चे के ऊपर आकाश में एक ध्रुवीय जेट दिखाई देता है। जेट वायु प्रवाह वायुमंडल में एकाग्रता की घटनाओं में से एक है, और पृथ्वी के घूर्णन और पूर्ण भंवर के संरक्षण को इसकी पीढ़ी में एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। → सामान्य वातावरण परिसंचरण
→ संबंधित आइटम तापमान हवा | हवा | उच्च वृद्धि अनुभागीय दृश्य | स्पष्ट आकाश अशांति | ग्रह लहर | पश्चिमी हवा | अशांति
→ संबंधित आइटम तापमान हवा | हवा | उच्च वृद्धि अनुभागीय दृश्य | स्पष्ट आकाश अशांति | ग्रह लहर | पश्चिमी हवा | अशांति
जेट स्ट्रीम के प्रकार:
- ध्रुवीय राशि रात्रि जेट स्ट्रीम-इनका प्रभाव समतापमंडल में होता है।
- ध्रुवीय वाताग्र जेट स्ट्रीम-इनका विस्तार 45 डिग्री से 65 डिग्री अक्षांशों के बीच होता है।
- उपोष्णकटिबंधीय पछुआ जेट स्ट्रीम-इनका विस्तार 20 डिग्री से 40 डिग्री अक्षांशों के बीच होता है। यह भारतीय मानसून को प्रभावित करते हैं।
- उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम- यह एक अस्थाई जेट स्ट्रीम है जो ग्रीष्म काल में दक्षिण एशिया के ऊपर बहती है। भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के उद्भव में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
जेट स्ट्रीम की विशेषताएँ-
- जेट स्ट्रीम का संचरण ऊपरी क्षोभमंडल में 7.5 से 14 किलोमीटर की ऊँचाई पर एक संकरी पट्टी के रूप में पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर होता है।
- ये त्रिकोणीय पवने होती हैं, जिनकी लंबाई कई हजार किलोमीटर, चौड़ाई सैकड़ों किलोमीटर तथा गहराई कुछ किलोमीटर तक होती है।
- इनका विकास 20 डिग्री अक्षांश से ध्रुवों तक होता है।
- जेट स्ट्रीम मौसम में परिवर्तन से प्रभावित होते हैं। शीतकाल में इनका वेग तथा विस्तार अपेक्षाकृत अधिक होता है।
- ग्रीष्मकाल में उत्तर की ओर खिसकने से इनके विस्तार में कमी आ जाती है।
जेट स्ट्रीम मौसम को निम्नलिखित रूपों में प्रभावित करते हैं-
- ध्रुवीय जेट स्ट्रीम शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति में सहायक होते हैं।
- जेट स्ट्रीम के कारण क्षोभमंडल में वायु का अपसरण तथा अभिसरण होने से वायुमंडल में चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात की उत्पत्ति होती है।
- जेट स्ट्रीम के कारण वायु का लंबवत संचार दोनों दिशाओं में होता है। चक्रवात के समय हवा ऊपर होती है और प्रतिचक्रवात के समय हवा नीचे आती है। इससे ध्रुवीय राशि रात्रि जेट स्ट्रीम के कारण क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच वायु का प्रवाह होता है और मानव जनित प्रदूषण समतापमंडल में पहुँच कर ओजोन को नुकसान पहूँचाते हैं।
- जेट स्ट्रीम दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्पत्ति में भी सहायक है। इस प्रकार ये बाढ़ एवं सूखे के द्वारा भी मौसम को प्रभावित करते हैं।
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